उरई, जून 20 -- उरई। संवाददाता इस तपती उमस भरी गर्मी में जल ही एकमात्र उपाय है , जो इस तपन और उमस से राहत देने का कार्य करता है। इसलिए इसके संरक्षण का उत्तरदायित्व भी सम्मिलित रुप से हम सभी का है। यह बात इन्टैक उरई द्वारा लगाई गई वीथिका में डॉ हरिमोहन पुरवार ने कही। इस जल पात्र वीथिका में मिट्टी, तांबा, पीतल, गिलट, चांदी आदि से निर्मित विभिन्न जल पात्रों का प्रदर्शन किया गया है जबकि जल संग्रहण हेतु जहां सौ साल पुराने हण्डा, बटोला, जंगाल, भगाना, टंकी, मटका, गगरी, सुराही, नाद, केन घटिया आदि प्रदर्शित की गई तो वहीं जल के उपयोग हेतु विभिन्न आकार प्रकार के लोटे, लुटियां, यांत्रिक लोटे, विभिन्न आकार प्रकार के गिलास, गिलसियां, कुल्हड, प्रात आदि का भी प्रदर्शन किया गया। जल संरक्षण हेतु प्राचीन काल तथा वर्तमान समय में जिन पात्रों का उपयोग किया जाता...