नई दिल्ली, अक्टूबर 29 -- कार्ल मार्क्स ने अपनी महान कृति दास कैपिटल में लिखा है- 'सोना और चांदी स्वभावतः मुद्रा नहीं हैं, जबकि मुद्रा स्वभावतः सोना और चांदी है।' यह कथन अर्थशास्त्र में सोने जैसी बहुमूल्य धातुओं के महत्वपूर्ण स्थान को गहराई से उजागर करता है। औद्योगिक युग में स्वर्ण मानक मौद्रिक प्रणाली को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है, और कोई भी अन्य धातु या अधात्विक पदार्थ सोने की बराबरी नहीं कर सका है। पूरी दुनिया में अब तक लगभग 2,00,000 टन सोने का खनन किया गया है, और विभिन्न देशों की सरकारें स्वर्ण भंडार को राष्ट्रीय आर्थिक स्थिरता का एक महत्वपूर्ण उपकरण मानती हैं। जैसे कि अमेरिका के पास करीब 8,000 टन सोना है, जबकि चीन और रूस, दोनों के पास 2,000 टन से अधिक सोना है। भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार है, लगभग 25,000 टन के ऊपर। हाला...
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