नई दिल्ली, सितम्बर 8 -- गिरीश गुरुरानी,वरिष्ठ पत्रकार उत्तराखंड में चंपावत जिले का गांव है कजीना। नौ साल पहले इसका एक हिस्सा सड़क से जुड़ा था। गांव बिखरा हुआ है, लिहाजा उसके कई हिस्से अब भी सड़क की मांग कर रहे थे। इसी दौरान कजीना मुख्य तोक के लिए अलग से करीब पौन किलोमीटर लिंक रोड बनाई गई। आठ साल पहले तीसरी रोड सालकांडे नामक जगह से केलानी तक साढ़े तीन किलोमीटर स्वीकृत हुई, लेकिन बनी सिर्फ 1,700 मीटर। उसका भी संरेखण, यानी अलाइनमेंट निर्माण के दौरान बदल दिया गया। नतीजतन, योजना का सीधा लाभ सिर्फ एक परिवार तक सिमट गया। वंचित इलाके के लोगों ने फिर सड़क की मांग की। छह साल पहले तीसरे छोर से साढ़े चार किलोमीटर लंबी एक और सड़क जालछीना-गहत्वाड़ नाम से मंजूर हुई। यह अभी निर्माणाधीन है, लेकिन इसकी लंबाई भी गहत्वाड़ नामक बस्ती तक पहुंचने के लिए कम पड़ ...
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