भागलपुर, मार्च 19 -- निर्मली, एक संवाददाता। आधा रमजान बीत जाने के बाद मुस्लिम धर्मावलंबियों के लोगों ने अब जकात वह फितरा तकसीम करना शुरू कर दिया है। माह-ए-रमजान में रोजा, नमाज और कुरान मजीद की तिलाबत के साथ-साथ जकात व फितरा तकसीम करने का भी बहुत बड़ा महत्व है। इस्लाम के पांच अरकान में एक रोजा तो एक जकात भी आता है। बता दें कि इस्लाम के पांच अरकान में ईमान, नमाज, रोजा, जकात और हज शामिल है। जकात हर दौलतमंद पर फर्ज है, वहीं फितरा हर बालिग, नाबालिग औरत, मर्द बूढ़े बुजुर्ग मुसलमान पर वाजिब है। ईद की नमाज अदा करने से पहले फितरा की रकम गरीबों, विधवाओं या अन्य जरूरतमंदों में तकसीम करना फर्ज माना गया है। इस्लामपुर जामा मस्जिद के मौलाना मोहम्मद सफीक साहब ने कहा कि अगर किसी गरीब को जकात या फितरा देकर मदद की जाए तो उसका परिवार भी हमलोगों के तरह ईद मना स...
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