स्वामी शिवानंद सरस्वती, जुलाई 29 -- अहंकार रहित व्यक्ति के सुख में किसी भी तरह की बाधा या अड़चन नहीं आती। समस्त दुखों का मूल कारण अहंकार है। यदि आप अहंकार का नाश करके इंद्रियों को वश में कर लो तो कामनाओं का क्षय हो जाता है। जिस प्रकार कुटुंब के अन्य लोग पिता पर आश्रित रहते हैं, वैसे ही सारी तृष्णाएं, कामनाएं इस शरीर रूपी कुटुंब के वृद्ध पिता अहंकार परआश्रित रहती हैं।अहंकार को पकने से पहले तोड़ें बालकपन में अहंकार दृढ़ नहीं होता। ऐसा ही होता है, जैसे दर्पण में छाया। युवावस्था में आपका विवाह हो जाता है। आप सांसारिक कामनाओं की पूर्ति में लग जाते हैं। आपका अहंकार पक्का हो जाता है। बालकपन में आप निर्भय रहते हो। आपके अंदर जैसे ही अहंकार दृढ़ हो जाता है, वैसे ही अनेक प्रकार की कामनाएं, भय और भ्रम अपना घर कर लेती हैं। इसके बाद यह संसार आपको और भी...