किशनगंज, जुलाई 19 -- किशनगंज, एक प्रतिनिधि। जागरूकता की कमी एवं पुरुष प्रधान समाज में परिवार नियोजन की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं पर थोप दी जाती है। बच्चों के जन्म में गैप एवं जनसंख्या स्थिरता के लिए आज भी महिलाओं को ही आस्थाई एवं गर्भनिरोधक उपाय अपनाने की जिम्मेदारी होती है।तथा स्थानीय साधन अपनाने के लिए महिलाओं को ही बंध्याकरण के लिए एक आगे आना पड़ रहा है। जबकि बड़ा सवाल ये है क्या परिवार सिर्फ महिला का होता है? आज भी पुरुष नसबंदी को लेकर हमारे समाज में जागरूकता की कमी से डर, झिझक और गलतफहमियां फैली हुई हैं। जिसका परिणाम यह होता है स्वास्थ्य और ज़िंदगी में परेशानी का सामना करने के लिए महिलाओं को आगे आना पड़ता है। ऐसे परिस्थिति में अगर कोई एक आशा कार्यकर्ता इस सोच को बदल दे, तो वह सिर्फ एक प्रयास नहीं बल्कि एक सामाजिक क्रांति होती है। परिवार ...