सिमडेगा, मई 18 -- सिमडेगा, जिला प्रतिनिधि। जिले में जंगल सिर्फ पर्यावरण संरक्षण के लिए नहीं लेकिन आजिविका का भी सशक्त माध्यम है। पिछले कई दशकों से महिलाएं जंगल से सखुआ पत्ता तोड़ पत्तल और दोना बना रही है और अपने परिवार व बच्चों का लालन पालन बेहतर तरीके से करते आ रही है। जिले के सभी प्रखंड के आदिवासी जीविकोपार्जन के लिए जंगल पर ही आश्रित हैं। यहां की महिलाएं जंगल से पत्ते लाकर बाजार में बेचती हैं। महिलाएं सुबह जंगल से पत्ते तोड़कर लाती हैं, फिर उनसे पत्तल व दोना बनाकर दुकान जाकर बेचती हैं। जिले में इन दिनों शादी ब्याह का समय है। हर दिन कई जोड़े विवाह के पवित्र बंधन में बंध रहे हैं। ऐसे में पत्ते से बने पत्तल व दोना की मांग भी काफी बढ़ गई है। पतल की मांग बढ़ते ही गांव की ठेपा छाप महिलाएं भी सखुआ पेड़ के पत्ते को जोड़ कर पत्तल बनाने में ब्यस...