नई दिल्ली, जून 14 -- सुधीश पचौरी,हिंदी साहित्यकार हिंदी में कुछ भी हो सकता है। यहां दो लाइन लिखने वाला भी बड़ा लेखक कहलाता है, पूरी किताब लिखने वाला भी बड़ा लेखक कहलाता है और दो-चार या दस-बीस किताबें लिखने वाला भी बड़ा लेखक कहलाता है। और तो और, संकलनकर्ता भी बड़ा लेखक कहलाता है। इसीलिए हिंदी में सभी लेखक बड़े लेखक कहलाते हैं, यहां कोई लेखक छोटा नहीं होता। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हिंदी में बड़े का न कोई फिक्स मानक है, न कोई तयशुदा पैमाना। यह हिंदी का जनतंत्र है, समाजवाद है और उससे भी आगे का साम्यवाद! यहां न छपने वाला, छपकर भी न बिकने वाला बड़ा लेखक है और हजारों में बिकने वाला भी बड़ा लेखक है। एक कविता लिखने वाला भी वरिष्ठ कवि है और दर्जनों संग्रह लिखने वाला भी। आप एक कहानी के लेखक हैं, तब भी प्रेमचंद, गोर्की, मोपासां, ओ हेनरी, चेखव से आ...