आगरा, अगस्त 3 -- हमें ये अहसास नहीं होता कि मायका नहीं हैं, न ही बच्चों को नानी के घर की कमी खलती है। क्योंकि हम बेटियों के लिए हर बार हमारी ये मां मायका सजाती हैं। रक्षाबंधन यहीं मनाते हैं। ये कहना था उन बेटियों का जिनके माता-पिता नहीं है। उनकी शादियां ही अनाथ आश्रम से हुई थीं। विगत कई सालों से ये बेटियां अपने मायके में आ रही हैं। इसी क्रम में माधवी अग्र महिला मंडल द्वारा आयोजित वार्षिक कार्यक्रम 'माधवी बेटियों का मायका एक बार फिर भावनाओं, परंपरा और सामाजिक जिम्मेदारी का अद्भुत संगम बन गया। लोहामंडी स्थित अग्रसेन भवन में आयोजित विशेष आयोजन में हाथरस, अलीगढ़, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद, ईंटानगर आदि शहरों से उन अनाथ बेटियों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया। जिनके विवाह इसी संस्था द्वारा कराए गए थे। अब विवाहित जीवन में आगे बढ़ रहीं इन बेटियों क...