आगरा, जुलाई 22 -- सावन का माह हो, बारिश की फुहार और घेवर की बात न हो तो सावन मास अधूरा रहता है। सावन मास के प्रारंभ होने के साथ ही घेवर का बनना और बिकना शुरू होता है और यह रक्षाबंधन तक बनता है। सावन में बहन-बेटियों के यहां सावन की यह विशेष मिठाई भेजने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। रक्षाबंधन पर भी भाई अपनी बहनों के यहां मिठाइ ले जाते है। इस दिनों बारिश की फुहार के साथ इसका बनना और बिकना शुरू हो गया है। भले ही आज अधुनिकता की दौड़ में लोग कितने आगे निकल गए, लेकिन इस युग में घेवर का महत्व अभी भी कम नहीं हुआ है। इसे खाने और पसंद करने वालों की भरमार है। यह मिठाई विशेषकर सावन मास में ही बनती है और बिकती है। सावन मास शुरू हो गया है तो शहर से लेकर कस्बों व गांव में घेवर बनना और बिकना शुरू हो गया है। जिले भर में करीब 300 से अधिक हलवाइयों के यहा...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.