कानपुर, मई 29 -- कानपुर। चिन्मय मिशन के आईएमए हॉल में चल रहे आयोजन में स्वामी प्रबुद्धानंद सरस्वती ने भागवत गीता के द्वितीय अध्याय के संदर्भ में कहा कि इसका मुख्य विषय शोक की समस्या और उसका निवारण है। भगवान कहते हैं कि पंडित वह है जिसके जीवन में शोक नहीं होता। कर्म के तीन भाग बताए गए हैं। कर्म योग के स्तर पर जीवन को जीने का प्रयास। ईश्वर की प्रीति, शक्ति और प्रेरणा को ध्यान में रखकर किया गया कर्म, कर्म योग कहलाता है। कर्म योग साधक के चित्त को शुद्ध करता है। यहां स्वामी राघवानंद, ब्रह्मचारिणी भगवती चैतन्य, रमेश चंद्र, विनोद मिश्रा, कोमल गुप्ता, डॉ. सीमा मिश्रा, अनिल अवस्थी, नंदकिशोर मिश्रा आदि प्रमुख रहे।
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