रामपुर, जुलाई 3 -- जिले में प्रतिदिन औसतन तीन लोग साइबर अपराध के शिकार हो रहे हैं। पुलिस के पास साइबर अपराधियों से लड़ने के लिए पर्याप्त हाईटेक उपकरण नहीं हैं। अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर और तकनीकी स्टाफ की कमी के कारण, पुलिस अधिकांश मामलों में केवल बैंक खातों को फ्रीज करने तक ही सीमित रहती है। साइबर अपराधी ट्रेस नहीं हो पाते और पुलिस की पकड़ से दूर भाग जाते हैं। जीमेल, गूगल, व्हाट्सएप और फेसबुक जैसी कंपनियों से डाटा प्राप्त करने में तीन से चार महीने लगते हैं, जिससे अपराधी आसानी से बच निकलते हैं। 2024 में जिले में साइबर थाना की स्थापना कंट्रोल रूम ऑफिस में की गई थी। इससे पहले साइबर अपराध से संबंधित मुकदमे थानास्थर में दर्ज होते थे। साइबर थाना बना तो लोगों को उम्मीद जगी कि अब उन्हें त्वरित न्याय मिलेगा। लेकिन,संसाधनों की कमी से परेशानी का सामना करन...
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