नई दिल्ली, नवम्बर 3 -- धार्मिक व्यक्ति वास्तव में वह नहीं है, जो चोंगा या लंगोट पहनता है, दिन में एक बार भोजन करता है, जिसने विधि-निषेध के अनगिनत व्रत ले रखे हैं। धार्मिक व्यक्ति वह है, जो अपने अंतर में सरल है; जो कुछ बनने की फिराक में नहीं है। ऐसे मन में असाधारण ग्रहणशीलता होती है, क्योंकि वहां कोई अवरोध नहीं है, कोई भय नहीं है, उसे किसी लक्ष्य की ओर बढ़ना नहीं है। अतः ऐसा मन अनुकंपा को, ईश्वर को, सत्य को अथवा जो भी नाम आप उसको दें, उसे ग्रहण करने में सक्षम होता है। परंतु यथार्थ के पीछे दौड़ने वाला मन सरल नहीं है। वह मन, जो ढूंढ़ रहा है, पता लगा रहा है, टटोल रहा है, विक्षुब्ध है, वह सरल नहीं है। जो मन अंदर या बाहर से किसी भी दबाव के सांचे में ढलने का प्रयत्न कर रहा है, वह संवेदनशील नहीं हो सकता। जब मन वास्तव में संवेदनक्षम होता है, अर्था...