सुल्तानपुर, अप्रैल 26 -- सुलतानपुर। यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट परीक्षा परिणाम में वित्तविहीन विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने जहां मेधा का परचम लहराया। वहीं राजकीय एवं सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों के बच्चे मेरिट में तो पिछड़े ही हैं साथ ही अच्छे अंक में पिछड़ गए हैं। राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों पर सरकार करोड़ों रुपए वेतन एवं अन्य संसाधनों के लिए खर्च करती है। इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को मेधावी बनाने तथा उन्हें अच्छे अंक दिलाने में सरकारी विद्यालयों के शिक्षक सफल नही हो सके हैं। इसी प्रकार सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों के शिक्षकों को भी सरकार वेतन प्रदान करती है। इसके साथ ही विद्यालयों को अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं। फिर भी अशासकीय सहायता प्राप्त स्कूलों के बच्चे अपने मेधा का परचम लहराने में काम...
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