गिरडीह, अक्टूबर 9 -- पीरटांड़। नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना कहे जाने वाले पारसनाथ में नक्सल संगठन का अस्तित्व समाप्ति के कगार पर है। सीआरपीएफ व गिरिडीह पुलिस की चौतरफा घेराबंदी से नक्सलियों का मनोबल टूटता जा रहा है। नक्सल प्रभावित गांव व सुदूरवर्ती क्षेत्र विकास की पहुंच से भी नक्सलियों का मन बदल रहा है। यही वजह है कि लगातार नक्सली आत्मसमर्पण की राह चुन रहे हैं। बताया जाता है कि घनघोर जंगल व भौगोलिक बनावट के कारण पारसनाथ नक्सलियों का सेफ जोन माना जाता था। पारसनाथ बीते चार दशक तक नक्सल संगठन का केंद्र बिंदु भी बना रहा। पारसनाथ को नक्सलियों का नैहर भी कहा जाता था। एक समय मे नक्सलियों का इस इलाका में समानांतर सरकार चलती थी। मानो नक्सल संगठन के इशारे के बिना पारसनाथ क्षेत्र में पत्ता तक नहीं हिलता था। सरकार की नक्सल विरोधी अभियान के साथ साथ क्...