लखनऊ, जुलाई 25 -- लखनऊ। विशेष संवाददाता बौद्धिक सभा के अध्यक्ष और समाजवादी चिंतक दीपक मिश्र ने कहा है कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद शब्द को न हटाने का फैसला समाजवादी विचारधारा की ऐतिहासिक जीत है। स्वामी विवेकानंद ने कृष्ण प्रणीत गीता और राममनोहर लोहिया ने रामराज्य से समाजवाद का अर्क निकाला था। समाजवाद को दलीय राजनीति से जोड़ना संकुचित मानसिकता और अज्ञानता है, यह भारत की वैचारिक व सांस्कृतिक विरासत है। सांविधानिक व संसदीय अध्ययन संस्थान के सदस्य दीपक ने कहा कि इस विषय पर सर्वोच्च न्यायालय में भी काफी बहस हो चुकी है और फैसला समाजवाद के पक्ष में आ चुका है, यदि समाजवाद को प्रस्तावना में जोड़ना भारतीय संस्कृति के अनुरूप न होता तो वर्ष 1977 में आई जनता सरकार इस निर्णय को बदल देती, लेकिन उस सरकार ने संविधान की संशोधित प्रस्तावना को...
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