बरेली, मार्च 3 -- मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन गाथा संपूर्ण मानव जाति के लिए वरदायिनी है। रामायण मानव को मनुर्भाव अर्थात मनुष्य बनो का पावन संदेश देती है। वह नई पीढ़ी के चरित्र निर्माण में आदर्श भूमिका निभाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। वास्तव में संस्कारी व्यक्ति ही संस्कृति जागरण और संरक्षण का कार्य कर पाता है। इस संबंध में बाल रामायण सनातन संस्कृति, संस्कार, सभ्यता, समरसता और मानव जाति की सुरक्षा का मूल तत्व अपने में समेटे हुए है। अखिल सृष्टि के मानव को रामायण का संदेश बहुमुखी है। यह बातें बाल रामायण के रचयिता डॉ. दीपंकर गुप्त ने प्रतिमा मेमोरियल जूनियर हाई स्कूल, सैनिक कॉलोनी बरेली की बालसभा में व्यक्त किये। इस दौरान विद्यालय की प्रधानाचार्या सुमन शर्मा, अनीता नाग, पुनीता रानी, वंदना देव, गंगा मेर, अर्चना सक्सेना, च...
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