नई दिल्ली, जुलाई 15 -- अध्यात्म नितांत व्यक्तिगत विषय है, पर आध्यात्मिक गुरु सदा विश्व-कल्याण की बात करते हैं। क्यों? दरअसल, सामूहिक कल्याण शिव है। अतः सामूहिक कल्याण का प्रचार शिवत्व की महानता से भरा हुआ होता है और इसीलिए आध्यात्मिक गुरु के लिए यह अनिवार्य है। सामूहिक कल्याण का उनका दृष्टिकोण, बल्कि सभी प्रवृत्तियां सत्य की ओर लक्षित होती हैं, क्योंकि केवल सत्य के प्रचार से सामूहिक कल्याण संभव है। सत्य और शिव आपस में ऐसे जुड़े हुए हैं कि एक-दूसरे के बिना न कोई खड़ा हो सकता है और न ही किसी को प्राप्त किया जा सकता है। सत्य वह है, जिसके पालन से आप कल्याण की ओर बढ़ेंगे और अंततः आप परम पुरुष से, जिन्हें ऋषियों द्वारा कल्याण-सुंदरम् के नाम से पुकारा गया है, एक हो जाएंगे। जहां सत्य का प्रचार नहीं होता, वहां लोग व्यक्तिगत या समूह-स्वार्थ में लिप...
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