नई दिल्ली, दिसम्बर 21 -- सर्दियों की एक सुबह मैं लुधियाना में ओशो ध्यान शिविर करवा रही थी। ध्यान था जिंदगी में होने वाले सतत बदलाव को देखना और स्वीकार करना। बदलाव को महसूस करने के लिए मैंने एक खूबसूरत गुलाब का बगीचा चुना। अलग-अलग रंग और शेड्स के गुलाब- गुलाबी से बैंगनी और पीले से सफेद तक। बड़े और छोटे, सभी आकार के। वे जिंदगी के अलग-अलग पड़ाव पर थे, यानी कुछ कलियां थीं, कुछ आधे खिले हुए, कुछ पूरे खिले हुए और कुछ मुरझाए हुए। पत्तियां भी उम्र में अलग-अलग थीं, हरी कोंपलों से लेकर सूखी भूरी-पीली तक। ध्यान करने वाले लोग घूम रहे थे, गुलाब की झाड़ी के हर उस पड़ाव को ध्यान से देख रहे थे, जो जीवन की धारा में बह रहा था। प्रकृति में बदलाव को समझना बहुत आसान है, क्योंकि सभी पड़ाव एक साथ आपकी आंखों के सामने होते हैं। गुलाबों के बदलाव को समझने के बाद लो...