चंदौली, फरवरी 20 -- नौगढ़, हिन्दुस्तान संवाद। माता अमरा भगवती धाम परिसर में आयोजित नव दिवसीय श्री राम कथा के सातवें दिन बुधवार को कथावाचक कौशलेंद्र दास शांडिल्य ने भरत मिलन की कथा सुनाया। बताया कि रामचंद्र को वनवास चले जाने से बहुत काफी मर्माहत राजा दशरथ की सांसें थम गई। भरत ने ननिहाल से आकर अपने पिता राजा दशरथ का अंतिम संस्कार करके गुरु वशिष्ट राजा जनक और तीनों माताओं को साथ लेकर के प्रभु श्री राम चन्द्र को मनाने के लिए वन को प्रस्थान किया। रास्ते में निषाद राज से जानकारी पाकर सचित्रकूट में भारद्वाज ऋषि के आश्रम में पहुंचे। भरत को देखकर लक्ष्मण के मन में अनेकों विचार आ गया। प्रभु श्री राम चन्द्र ने काफी हर्षोहर्षित होकर के अपने छोटे भाई को गले लगाया। जिसे देख कर आकाश से देवता भी पुष्प वर्षा करने लगे। माता सीता ने अपनी माताओं का चरण बंदन ...