उरई, दिसम्बर 28 -- आटा। परासन के डेरा कुइया झोर के ग्रामीणों की यह आवाज सिर्फ दर्द नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर सीधा सवाल है। आज भी यह डेरा पक्की सड़क से वंचित है। कच्चा, उबड़-खाबड़ रास्ता बरसात में दलदल बन जाता है। और गर्मी में धूल का गुबार उड़ाता है। इसी रास्ते पर चलना यहां के लोगों की मजबूरी है,और यही रास्ता अब मौत का कारण भी बन चुका है। ग्रामीण चंद्रभान बताते हैं कि वर्षों से सड़क की मांग की जा रही है। ग्राम पंचायत, ब्लॉक, तहसील और जिला हर स्तर पर आवेदन दिए गए। चुनावों के समय नेता आए, बड़े-बड़े वादे किए गए, पैमाइश और निरीक्षण भी हुए, लेकिन चुनाव बीतते ही कुइया झोर फिर हाशिये पर डाल दिया गया। सड़क आज तक कागजों से बाहर नहीं निकल सकी। बलराम ने बताया कि वर्ष 2024 में गांव के एक बुजुर्ग की तबीयत अचानक बिगड़ गई। परिजनों ने एम्बुलेंस बुलाई। एम...