रामपुर, मई 19 -- हर साल भले ही डेंगू का डंक लोगों को परेशान करता रहा हो, लेकिन हर बार मलेरिया विभाग नाकाम साबित हुआ। विभाग के पास स्टाफ और संसाधनों की कमी है। ऐसे में इस बार भी अगर डेंगू का प्रकोप बढ़ जाता है तो इसकी रोकथाम करना मुश्किल हो सकता है। वर्ष 1956 में मलेरिया रोधी अभियान की शुरुआत की गई थी। उस समय मलेरिया विभाग की शुरुआत करते हुए एक मलेरिया अधिकारी, दो सहायक मलेरिया अधिकारी, छह इंस्पेक्टर, तीन पर्यवेक्षक, 13 फील्ड वर्कर की तैनाती की गई थी। अब 13 में सिर्फ चार फील्ड वर्कर रह गए हैं। जो घरों में जाकर मलेरिया और डेंगू बीमारी से बचाव का काम करते हुए नजर आते हैं। मलेरिया और फाइलेरिया विभाग में 60 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद स्वीकृत हैं। इनमें वर्तमान में केवल 38 कर्मचारियों की ही तैनाती है। कर्मचारियों की कमी से मलेरिया और डेंगू...
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