प्रतापगढ़ - कुंडा, नवम्बर 9 -- लालगंज, हिन्दुस्तान संवाद। संसद के आगामी सत्र संचालन की समयावधि घटाया जाना लोकतंत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय है। एक दिसंबर से मोदी सरकार ने महज तीन सप्ताह का संसद सत्र आहूत कर महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा कराने को लेकर गैरजवाबदेही का परिचय दिया है। यह बातें राज्यसभा सदस्य व विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने रविवार को जारी अपने बयान में कहा। सांसद ने कहा कि संसदीय परंपरा रही है कि संसद की कार्यवाही छह सप्ताह होती थी। इधर कई वर्षों से संसद का सत्र चार सप्ताह रहा है। सांसद प्रमोद ने कहा कि चिंताजनक है कि इस बार मोदी सरकार ने इसे महज तीन सप्ताह ही सीमित कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकतंत्र की परिपाटी और सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत का उल्लंघन कर रहे हैं। संसद सत्र में विपक्ष लोकतंत्र में लोगों के वोट ...