मैनपुरी, सितम्बर 2 -- नगर के जैन मंदिर में चल रहे दसलक्षण महापर्व के छठवें दिन जबलपुर के जैन विद्वान पंडित अभिनय शास्त्री ने उत्तम संयम धर्म के स्वरूप पर सारगर्भित प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि संयम का अर्थ केवल उपवास करना या भोजन का त्याग करना नहीं है, बल्कि अपनी पांचों इंद्रियों और मन को वश में रखना ही सच्चा संयम है। जो व्यक्ति अपनी इच्छाओं, विषय-वासनाओं और कषायों पर विजय प्राप्त कर लेता है, वही सच्चे अर्थों में संयमी है। जैन विद्वान ने कहा कि असंयमित जीवन आत्मा को पतन की ओर ले जाता है, जबकि संयम का पालन करने से आत्मा का कल्याण होता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। प्राणी संयम और इंद्रिय संयम, दोनों का जीवन में पालन आवश्यक है। किसी भी जीव को मन, वचन या कर्म से कष्ट न पहुंचाना प्राणी संयम है और अपनी इंद्रियों को विषयों की ओर भागने से ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.