वाराणसी, फरवरी 25 -- वाराणसी मुख्य संवाददाता उत्तर और दक्षिण भारत की दो संगीत धाराओं का अद्भुत मिलन ध्रुपद तीर्थ तुलसी घाट पर हुआ। कश्मीर की वादियों के तंत्रवाद्य से स्वस्तिवाचन किया गया तो दक्षिण भारतीय ताल पखावज से नादेश्वर की पूजा की गई। संगीत के वैश्विक स्रोताओं ने इसकी अनुभूति सोमवार को ध्रुपद मेला की तीसरी निशा में की। मंच पर संतूर वादन के सशक्त युवा हस्ताक्षर पंडित अभय रुस्तम सोपोरी बैठे थे। पखावज पर उनके साथ काशी के युवा ताल साधक अंकित पारिख संगत कर रहे थे। पंडित अभय रुस्तम सोपोरी ने राग मालकौंस की अवतारणा की। आलाप और जोड़ बजाने के बाद उन्होंने चौताल में पहाड़ी धुन से वादन को विश्राम दिया। इससे पहले प्रथम कार्यक्रम शर्मिला राय चौधरी के गायन का रहा। शर्मिला राय ने गायन का आरंभ राग भोपाली में चौताल में निबद्ध ध्रुपद रचना से किया। उन...