नई दिल्ली, सितम्बर 25 -- इस संसार में दो तरह के रुग्ण व्यक्ति रहते हैं- दूसरों को सताकर सुख लेने वाले और स्वयं को कष्ट देकर सुख पाने वाले! 'सैडिस्ट' या परपीड़क वे लोग हैं, जिन्हें सुख और आनंद दूसरों को सताने में मिलता है, और 'मैसोचिस्ट' यानी आत्मपीड़क वे लोग हैं, जिन्हें खुद को सताने से सुख मिलता है। लेकिन है यह एक जैसी ही हिंसा। परपीड़क चूंकि दूसरों पर हिंसा फेंकते हैं, इसलिए देर-सवेर लोग इसके विरुद्ध विद्रोह करेंगे। लेकिन आत्मदमन के विरुद्ध विद्रोह के लिए कोई होता ही नहीं। वास्तव में, सभी क्रांतिकारी जब सत्ता में आते हैं, तो धीरे-धीरे अपना सम्मान खोने लगते हैं। वे देर-सवेर कुर्सियों से उतार दिए जाते हैं, उनकी सत्ता और शक्ति नष्ट हो जाती है और उन्हें अपराधी समझा जाने लगता है। पूरा इतिहास इन्हीं अपराधियों से बना है। यह मनुष्यता का इतिहास ...