उन्नाव, अप्रैल 28 -- नृत्य खुशियों को बयां करने का एक जरिया है। संगीत की थाप पर थिरकते कदम केवल लय नहीं गढ़ते बल्कि आत्मा को भी उजागर करते हैं। आमतौर पर जब भी लोग खुश होते हैं, वह थिरकने लगते हैं। भारतीय संस्कृति का नृत्य से गहरा नाता है। कई जगहों पर करीब दो हजार साल पहले त्रेतायुग में देवताओं की विनती पर ब्रह्मा जी द्वारा नृत्य वेद तैयार किए जाने का भी जिक्र है। हड़पा की खुदाई में मिले अवशेषों में भी नृत्य करते हुए युवती की मूर्ति मिली है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि नृत्य सदियों से सशक्तता, आत्म अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास का जरिया बना हुआ है। ऐसे में नृत्य को कला के रूप में मान्यता देना, इसकी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और शैक्षिक महत्व को उजागर करने के लिए हर साल 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है। जिले में भी कई ऐसे कलाक...
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