नई दिल्ली, सितम्बर 22 -- अंतरराष्ट्रीय संबंधों और भूमंडलीकरण के इस युग में ज्ञान, कौशल और अवसरों की आवाजाही एक स्वाभाविक प्रक्रिया बन चुकी है। तकनीकी क्रांति के साथ भारतीय युवाओं ने दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। अमेरिका, जहां नवाचार और तकनीकी विकास की असंख्य संभावनाएं हैं, लंबे समय से भारतीय इंजीनियरों, सॉफ्टवेयर डेवलपर्स और वैज्ञानिकों के लिए सबसे आकर्षक मंजिल रहा है। एच-1बी वीजा इस सपने को साकार करने का सबसे अहम जरिया बना। किंतु हाल के वर्षों में अमेरिकी नीतियों ने इस मार्ग में कई रुकावटें पैदा कर दी हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीजा शुल्क को एक झटके में कई गुना बढ़ाने का निर्णय उसी क्रम की नवीनतम कड़ी है। इस फैसले ने न केवल भारतीय पेशेवरों को झकझोर दिया, बल्कि दोनों देशों के बीच कौशल आधारित सहयोग पर गंभीर स...