सिद्धार्थ, मार्च 19 -- भनवापुर। क्षेत्र के श्रीराम जानकी मंदिर चौखड़ा में आयोजित विष्णु महायज्ञ व श्रीरामकथा में सोमवार रात कथा वाचक बलराम शास्त्री ने गुरु की महिमा का वर्णन किया। कथावाचक ने कहा कि वह कोई भक्त नहीं होगा जिनको गुरु के बगैर भगवत प्राप्ति हुई हो। कथावाचक ने बताया कि मीराबाई की 11 वर्ष की अवस्था में ही राव दूदाजी उनको छोड़कर विदा हो जाते हैं। अब मीरा के जीवन में संघर्ष ने अपनी जगह ले ली, क्योंकि मीराबाई का ख्याल जितना राव दूदा रखते उतना कोई नहीं। मीरा बहुत रोई, मीरा के भक्ति पथ का एक पथिक कम पड़ गया था। क्योंकि सच्चा साथी हमारा वहीं है, जो भक्ति पथ पर सदैव हमारे साथ रहे। उनके जाते ही संसार के लोगों ने मीरा के विवाह का प्रसंग शुरू कर दिया। जबकि मीरा गिरधर की मूर्ति को ही अपना सर्वस्व मान बैठी थी। फिर भी मीरा की ताई गिरजाबाई के क...