नई दिल्ली, अगस्त 8 -- सूफी संत शफीक ने एक बार अपने शिष्यों से बात करते हुए कहा, 'परमात्मा पर मेरी पूर्ण श्रद्धा है। एक बार मैं सिर्फ एक पैसा साथ लेकर तीर्थयात्रा पर निकल गया। यात्रा लंबी थी, लेकिन सब कार्य सकुशल पूर्ण हुआ और मैं वापस लौट भी आया और वह पैसा मेरे पास ही रहा, बल्कि आज भी मेरे पास है।' शफीक की बातें सुनकर चकित शिष्य एक-दूसरे से चर्चा करने लगे। उनकी आंखों में अपने गुरु के प्रति अगाध प्रेम और दिल में प्रशंसा के दीये जलने लगे। यह देखकर शफीक अचानक उदास हो गए और उनकी आंखें अनायास डबडबा उठीं। वह खामोश थे। लेकिन, तभी शिष्यों की भीड़ से एक नवयुवक उठा और उसने शफीक से कहा, 'माफी के साथ मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूं। यदि आपने साथ में एक पैसा ले ही लिया था, तब आप कैसे दावा कर सकते हैं कि आपकी श्रद्धा पैसे पर नहीं, परमात्मा पर थी?' शफीक...