हरिद्वार, जुलाई 14 -- इस बार कांवड़ यात्रा में श्रद्धालु भारी-भरकम कांवड़ उठाने में एक दूसरे से पीछे नहीं रहना चाहते। स्टील के मटके, ड्रम और डिब्बों में सैकड़ों लीटर गंगाजल भरकर अपने-अपने गंतव्य की ओर रवाना हो रहे हैं। कुछ कांवड़िए तो अपने वजन से ज्यादा गंगाजल लेकर चल रहे हैं। दिल्ली निवासी रामपाल कहते हैं कि अब तो यह पूरी तरह से प्रतियोगिता बन चुकी है। श्रद्धा की जगह प्रदर्शन हावी होता दिख रहा है। बड़े-बड़े बर्तन, भारी-भरकम कांवड़ उठाकर चलना जरूरी नहीं है। लोग एक-दूसरे की नकल कर रहे हैं या फिर एक-दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ में हैं। भिवानी से आए हरेंद्र ने इस प्रचलन पर चिंता जताकर कहा कि सैकड़ों लीटर गंगाजल उठाकर चलने का कोई धार्मिक औचित्य नहीं है।

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