संभल, मार्च 7 -- शाही जामा मस्जिद को लेकर फैलाई जा रही ग़लतफहमी पर विराम लगाना ज़रूरी है। हाई कोर्ट ने इसे विवादित स्थल नहीं कहा, बल्कि केवल एक संदर्भ दिया है। कुछ लोग इस बात को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं, जिससे समाज में भ्रम फैल रहा है। यह बात सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कही। बर्क ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने निचली अदालतों के आदेश पर रोक लगा दी थी, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि कानूनी तौर पर मस्जिद पूरी तरह सुरक्षित है। 1991 के प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप एक्ट के अनुसार, 15 अगस्त 1947 से पूर्व मौजूद किसी भी धार्मिक स्थल में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। इस कानून के तहत शाही जामा मस्जिद पूरी तरह संरक्षित और सुरक्षित है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 के तहत हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने और धार्मिक स्थलों की रक्षा करने का अधिकार प्र...