बांका, सितम्बर 27 -- बांका, नगर प्रतिनिधि। नवरात्रि के पाँचवें दिन की अधिष्ठात्री देवी स्कन्दमाता हैं। माता स्कन्दमाता को माँ दुर्गा का पाँचवाँ स्वरूप मना गया है। साथ ही इन्हें भगवान कार्तिकेय (स्कन्द) की माता होने के कारण यह नाम प्राप्त हुआ है। इनकी उपासना से साधक को ज्ञान, मोक्ष, शक्ति, भक्ति और वैराग्य की प्राप्ति होती है। स्कन्दमाता की पूजा से भक्त न केवल आध्यात्मिक बल प्राप्त करते हैं, बल्कि इनकी उपासना सी सांसारिक सुखों की भी प्राप्ति होती है। स्कन्दमाता की चार भुजाएँ होती हैं। वह अपने एक हाथ में भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) को गोद में लिए रहती हैं, दूसरे हाथ से वरमुद्रा में आशीर्वाद देती हैं। शेष दो हाथों में कमल का पुष्प धारण करती हैं। इनका वाहन सिंह है और इन्हें 'पद्मासना' (कमल पर बैठने वाली) देवी भी कहा जाता है। इस प्रकार वे "कमलासन...