संभल, जुलाई 6 -- रोजे अशूरा पर सैकड़ों की संख्या मे मातम दार ने हज़रत ईमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों के गम अपने को छुरियों से और कमा ज़नी करके खून नेहला लिया। मौलाना काजी सुब्हान ने कहा कि 1400 वर्ष पहले हुसैन अलैहिस्सलाम ने क्रूर बादशाह यज़ीद की बैयत से इंकार कर दिया था। मौलाना एहतेशाम अली ने कहा कि यह मातम हुसैन की हिमायत में है और जालिम के खिलाफ है। यह मातम उग्रवादियों की कमर को तोड़ता है। जीत का सबूत है जुलूस उसी के निकलते है। जिसकी जीत हुई होती है। मौलाना मोहम्म अब्बास ने कहा कि यज़ीद हुसैन अलैहिस्सलाम के परिवार को ख़त्म करके अपना नया दीन चलाने वाला था, लेकिन हुसैन अलैहे की बहन शहज़ादी जैनब और हुसैन अलैहे के बेटे ईमाम सज्जाद ने उसकी प्लानिंग को खाक में मिला दिया।
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