अलीगढ़, जुलाई 6 -- अलीगढ़। मोहर्रम की पूर्व संध्या पर शहर में विभिन्न स्थानों पर इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मातम हुआ। अकीदतमंदों ने उनकी शहादत की कहानी सभी को बताई। उनकी शहादत को इस्लाम में न्याय, सत्य और धार्मिकता के लिए संघर्ष का प्रतीक माना जाता है। इमाम हुसैन की शहादत का वाकया कर्बला के युद्ध से जुड़ा है, जहां इमाम हुसैन और उनके साथियों को यजीद की सेना ने शहीद कर दिया था। इमाम हुसैन ने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई थी। अत्याचारी शासक यजीद ने इमाम हुसैन से सत्ता के सामने झुकने और उसकी अधीनता स्वीकार करने को कहा। लेकिन इमाम हुसैन ने ऐसा करने से मना कर दिया क्योंकि वह अन्याय और अधर्म के खिलाफ थे। इमाम हुसैन व परिवार के सदस्य और साथी यजीद की सेना से घिर गए थे। वे सभी प्यासे थे, क्योंकि यजीद की सेना ने उन्हें पानी तक पहुंचने से रोक दि...