मुजफ्फर नगर, अक्टूबर 6 -- आश्विन माह के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। वैसे तो सभी पूर्णिमा का विशेष महत्व है, लेकिन शरद पूर्णिमा को सभी पूर्णिमा में श्रेष्ठ माना जाता है। इस शुभ तिथि पर शहर के मंदिरों में जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की गई। पंडित ध्यान चन्द कुश ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा 16 कलाओं का होता है और निकलने वाली किरणें अमृत के समान होती हैं। शरद पूर्णिमा के पर्व को धन की देवी मां लक्ष्मी का प्राकट्योत्सव के रूप में बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी उत्पन्न हुई थीं। दूसरी मान्यता यह भी है कि द्वापर युग में जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने धवल चांदनी में महारास किया था। इससे चंद्र देव ने प्रसन्न होकर अमृत क...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.