चंदौली, मार्च 19 -- चंदौली। मुकद्दस रमजान माह के आखिरी अशरे के 10 दिनों में शब-ए-कद्र की रात आती है। इसे लैलतुल कद्र भी कहा जाता है। यह रात हजार रातों से अफजल है। इस रात में फरिश्ते जमीन पर उतरते हैं। फरिश्ते रोजेदारों के दुओं पर आमीन फरमाते हैं। इस रात में रोजेदारों को इबादत करने का सवाब एक हजार साल के बराबर मिलता है। इसमें रोजेदार की हर दुआ कबूल होती है। इस रात को पांच ताक रातों में तलाशा जा सकता है। मुफ्ती रिजवान साहब ने हदीस बयान करते हुए कहा कि कहा कि शबे कद्र की यह पाक रात रमजान के आखिरी अशरे में आती है। इसे 21, 23, 25, 27 और 29 रमजान की रात में तलाश जा सकता है। कहा कि इस रात में जिब्राइल अलैहि सलाम के जरिए कुरान शरीफ नाजिल हुई थीं। इस रात की इबादत का सवाब एक साल की इबादत के बराबर मिलता है। इस रात की कुछ खास निशानियां बतायी गई है। य...