रामपुर, नवम्बर 23 -- शक की रार रिश्तों में दरार डाल रही है। नतीजा अपने ही अपनों के रिश्तों का कत्ल कर दे रहे हैं। पति-पत्नी को नहीं समझ रहा,पत्नी-पति को नहीं समझ रही। ऐसे मामलों में विवाद में एक की मौत के बाद खत्म हो जा रहा है, तो दूसरा कानून के शिकंजे में फंसकर जिंदगी बर्बाद कर दे रहा है। ऐसा ही हाल रामपुर में भी है यहां हर साल शक के कारण दस से अधिक लोगों को अपनी जान गवानी पड़ रही है। चाहे वह दहेज हत्या में हो या अन्य तरह की हत्या में,परिणाम बस हत्या ही है। शक के लिए अपनों के प्रति बढ़ते आक्रोश को समाजशास्त्री घातक बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि एकांकी जीवन की ओर लोग बढ़ रहे हैं। आपसी प्रेम कम हो रहा है, जबकि अपेक्षाएं बढ़ रही हैं। उसी की नतीजा है कि लोग अपनों को नहीं समझ पा रहे हैं। प्रेम के बजाय बढ़ रही अपेक्षा अपनों के प्रति व्यवहार में ...
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