नई दिल्ली, अप्रैल 10 -- वो जो अब तक परछाइयों में थीं, वो अब समाज की रोशनी बन गई हैं। वार्ष्णेय समाज की महिलाएं आज सिर्फ घर नहीं, समाज का भविष्य गढ़ रही हैं। वे अब सिर्फ रस्में नहीं निभा रहीं, वे अब नियम बना रही हैं। इनकी आंखों में समाज के लिए एक सपना है। जहां हर लड़की कॉलेज जाए। हर महिला आत्मनिर्भर हो, और हर परिवार नारी को बराबरी दे। मोहल्लों में शक्ति केंद्र चाहती हैं, और हर लड़की को पढ़ाने का संकल्प। यह आवाजें पहले भी थीं, लेकिन अब ये सुनी जा रही हैं। क्योंकि ये आवाजें अब सिर्फ दर्द की नहीं, बदलाव की हैं। ये कहानियां सशक्तिकरण की किताबों से नहीं निकलीं, ये हमारे बीच से निकली हैं-हमारी मां, बहन, पत्नी और बेटियों की आवाज हैं। हिन्दुस्तान बोले अलीगढ़ अभियान के तहत वार्ष्णेय समाज की महिलाओं ने समाज के उत्थान और आत्मनिर्भरता का संकल्प लिया। ...