दरभंगा, अक्टूबर 17 -- दरभंगा। जब आप सुबह नाश्ते में दलिया या पराठा तैयार करते हैं या बच्चे को स्कूल के लिए रोटी-सब्जी का टिफिन देते हैं तो आप सिर्फ उनकी भूख नहीं मिटा रहे होते। आप उनकी मानसिक और शारीरिक क्षमता, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और उनके भविष्य की ऊर्जा में निवेश कर रहे होते हैं। ये बातें लनामिवि के पीजी भूगोल विभागाध्यक्ष डॉ. अनुरंजन ने विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में कही। इस संगोष्ठी का आयोजन भूगोल विभाग और डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में विश्व खाद्य दिवस की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया था। इसका फोकल विषय 'बेहतर भोजन-बेहतर भविष्य : सबका साथ था। डॉ. अनुरंजन ने कहा कि भारतीय थाली अब वैश्विक स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही है। यदि आप भारतीय थाली (शाकाहारी) उपयोग में लाते हैं तो पृथ्वी के भूभाग ...
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