नई दिल्ली, अगस्त 11 -- विभूति नारायण राय,पूर्व आईपीएस अधिकारी सन् 1947 में भारत का विभाजन एक ऐसी विभीषिका थी, जिसकी मनुष्य जाति के पूरे इतिहास में कोई सानी नहीं है। इससे जुड़े कई मिथक कितने कमजोर धरातल पर खड़े थे, इसका अनुमान तो सिर्फ एक अवधारणा से लगाया जा सकता है। विभाजन से जुड़ा यह तर्क कि हिंदू और मुसलमान दो अलग राष्ट्र हैं और साथ नहीं रह सकते, पूरी तरह से गलत साबित हुआ। यहां इस सच्चाई को रेखांकित करने की जरूरत है कि भारत के बहुसंख्य मुसलमानों ने मुस्लिम पाकिस्तान में हिजरत की जगह एक धर्मनिरपेक्ष भारत में रुकना पसंद किया। यदि पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान से हिंदुओं और सिखों को न भगाया गया होता, तो उनकी भी विशाल संख्या अपने पुरखों की जमीन छोड़कर शरणार्थी न बनती। राष्ट्र-राज्य की निर्मिति में सबसे महत्वपूर्ण कारक एक ऐसा समुदाय होता है, ज...