नई दिल्ली, मार्च 26 -- नई दिल्ली। अभिनव उपाध्याय सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधियों के केंद्र रहने वाली राजधानी दिल्ली में भी नाटकों के मंचन के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी कलाकारों को लगातार परेशान कर रही है। नाट्य निर्देशकों का कहना है कि राजधानी में नाटकों का मंचन करना आसान नहीं है। मंहगे और कम संख्या में सभागार, नाटकों के अभ्यास के लिए जगह की कमी, प्रशासनिक दिक्कतें, आर्थिक अनुदान की कमी के कारण नाटक करने से पहले नाट्य समूहों को सोचना पड़ता है। प्रसिद्ध रंगकर्मी, अभिनेता और नाट्य निर्देशक एम के रैना ने का कहना है कि मैं कई वर्षों से थिएटर कर रहा हूं लेकिन जो समस्याएं तब भी वही समस्याएं अब भी हैं। मंडी हाउस में कुल मिलाकर तीन बड़े सभागार हैं लेकिन उनको बुक करके लिए एक लाख या उससे अधिक की राशि खर्च करनी पड़ती है। यह राशि हर साल बढ़ जाती है...