संतकबीरनगर, मई 13 -- सिद्धार्थनगर, हिन्दुस्तान टीम। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के प्रेक्षागृह में वैश्विक बौद्ध चिंतन की ऐतिहासिकता एवं समकालीन प्रासंगिकता विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कुलपति प्रो.कविता शाह ने कहा कि विश्वविद्यालयों की भूमिका अब केवल शिक्षा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक उत्तरदायित्व, नैतिक मूल्यों के संवर्धन, चरित्र निर्माण व सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति में एक सक्रिय भागीदार बन गई है। उन्होंने कहा कि बौद्ध चिंतन को पर्यावरण, तकनीक, नीति निर्माण व सामाजिक समरसता से जोड़ने की जरूरत है। अहिंसा, करुणा, सहिष्णुता और सम्यक दृष्टि जैसे बौद्ध मूल्य शिक्षा प्रणाली का अनिवार्य अंग बनने चाहिए। दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य प्रो. हरीशंकर प्रसाद ने बुद्ध के टेस्ट ऑफ सॉरो की व्याख्या करते हुए चार आर्य सत्यों ...