चतरा, नवम्बर 16 -- सिमरिया प्रतिनिधि कभी चतरा जिला जंगली फलों की प्रचुरता के लिए मशहूर था। जिले के साठ प्रतिशत से ज्यादा भूभाग घने जंगलों से घिरा हुआ था।प्रशासनिक फाइलों में अभी भी साठ प्रतिशत जिले का भूभाग जंगल दर्शाता है।पर हकीकत इससे ठीक उलट है।वजह है जंगलों का तेजी से उजड़ना।और जंगलों के बेतहाशा दोहन ने जंगली फलों को विलुप्ति के कगार पर ला खड़ा कर दिया है। चतरा जिले के जंगलों में दो दशक पूर्व अत्यधिक मात्रा में कनौद, पियार,हर्रे, बहेरा, केंद, भेलवा आदि फल पाए जाते थे।और इन फलों में औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में होते थे।मगर जंगलों के कटने से इनके पौधों और पेड़ धीरे धीरे ओझल होते जा रहे हैं।परिणाम यह हो रहा है कि इन पौधों और पेड़ों के विलुप्त होने के कारण जंगली जानवर भी विलुप्त होते जा रहे हैं क्योंकि हिरण, खरगोश, जंगली सुवर,तीतर आदि इन्ही से...
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