फरीदाबाद, फरवरी 14 -- फरीदाबाद। अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में गुजरात के कच्छ भुज से आए हस्तशिल्पी तेज सिंह तीन दशकों से विलुप्ति की कगार पर पहुंच गई खरड़ दरी कला को बचाने में जुटे हुए हैं। उन्होंने खरड़ दरी कला को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए अपने दोनों बेटों हीरा भाई और सामत भाई को भी सिखाई है और इन दानों का गुजरात में आज बड़ा नाम है। वहीं तेज सिंह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं। तेज सिंह ने बताया कि खरड़ दरी बनाने की कला 500 वर्षों से भी पुरानी है, लेकिन यह कला विलुप्त हो गई थी। इन दरियों को कच्छ में ही तैयार किया जाता था। युवाओं का रुझान कम होने की वजह से यह लगभग समाप्त हो गई थी। तीन दशक पहले तेज सिंह ने खरड़ दरी की कला को दोबारा से जीवित रखने के संकल्प किया। शुरुआत में इन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। ...