संभल, सितम्बर 29 -- कस्बा गवां में चल रही रामलीला के 12वें दिन मंच पर विभीषण शरणागति प्रसंग का भावपूर्ण मंचन किया गया। लंका युद्ध की तैयारियों के बीच रावण के छोटे भाई विभीषण ने बार-बार उसे श्रीराम से युद्ध न करने और माता सीता को लौटा देने की सलाह दी, लेकिन रावण अपने अहंकार और क्रोध में किसी की बात मानने को तैयार न हुआ। अपमानित होकर विभीषण ने रावण का साथ छोड़ प्रभु श्रीराम की शरण में जाने का निश्चय किया। आकाश मार्ग से समुद्र तट पर उतरकर जब विभीषण ने श्रीराम की शरण मांगी तो वानर सेना में संदेह उत्पन्न हुआ कि कहीं वह रावण का जासूस न हो। सुग्रीव सहित अन्य वानरों ने विरोध जताया, किंतु श्रीराम ने स्पष्ट कहा कि जो कोई भयभीत होकर उनकी शरण में आता है, उसे वे अवश्य आश्रय देते हैं, चाहे वह शत्रु ही क्यों न हो। प्रभु की आज्ञा के बाद विभीषण का स्वागत ...