देहरादून, मार्च 22 -- विकास के नाम पर पेड़ काटना सबसे ज्यादा खतरनाक है। पूरी दुनिया क्लामेट चेंज के दुष्परिणामों से गुजर रही है। लेकिन उत्तराखंड में क्लाइमेट चेंज के परिणामों का असर दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। राज्य में प्राकृतिक आपदाताओं की तादाद भी लगातार बढ़ रही है। सुनामी को छोड़कर दुनिया की कोई भी आपदा ऐसी नहीं, जिससे उत्तराखंड प्रभावित न होता हो। यह बात वक्ताओं ने दून लाइब्रेरी सभागार में एसडीसी फाउंडेशन की ओर से प्रकाशित पुस्तक मेकिंग मोलहिल्स ऑफ माउंटेंस, टेल्स ऑफ उत्तराखंड्स क्लाइमेंट क्राइसेस एंड एन असर्टेंन डेवलपमेंट मॉडल के दूसरे संस्करण के विमोचन के अवसर पर कही। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव एनएस नपलच्याल रहे। उन्होंने कहा कि परंपरागत ज्ञान और आधुनिक ज्ञान को एक सूत्र में पिरोकर आपदाओं का असर कम करने और...
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