नई दिल्ली, नवम्बर 9 -- सूफी लोग कहते हैं, जो दिखाई देता है, वही सच नहीं होता, जिंदगी कई तलों पर एक साथ जी जाती है। कभी-कभी हमारे मन में जो सवाल उठता है, उसका जवाब किसी और तल पर बेबूझ तरीके से मिलता है। ओशो के साथ एक अमेरिकी डॉक्टर थे। उनके साथ एक अद्भुत वाकया हुआ। उन्होंने ओशो को पत्र लिखकर बताया, 'मैं सात हफ्तों से हिमालय में यात्रा कर रहा था। जिस दिन मुझे पुणे लौटना था, आपने मेरे उस प्रश्न का उत्तर दिया, जो मैंने आठ हफ्ते पहले भेजा था। प्रश्न था, मेरे अंदर उठती हुई डिप्रेशन की भावना के बारे में। संयोग की बात जिस समय आप यहां पूना में मेरे प्रश्न का उत्तर दे रहे थे, मैं वाराणसी के रेलवे पलेटफॉर्म पर 28 घंटे से ट्रेन के इंतजार में बैठा हुआ था। हर घंटे घोषणा होती थी कि ट्रेन एक घंटे में आएगी; लेकिन मेरी ट्रेन नहीं आती थी- बस और लोग बढ़ जाते...