नई दिल्ली, अप्रैल 22 -- वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को मातंगी जयंती मनाई जाती है। दस महाविद्याओं में नौवीं महाविद्या मातंगी की उपासना विशेष रूप से वाक्-सिद्धि के लिए की जाती है। पुरश्चर्यार्णव में इस संबंध में कहा गया है- अक्षवक्ष्ये महादेवीं मातंगी सर्वसिद्धिदाम्। अस्याः सेवनमात्रेण वाक् सिद्धिं लभते ध्रुवम्।। (-मैं उस महादेवी मातंगी की पूजा करता हूं, जो सर्वसिद्धि को प्रदान करती हैं। उसके केवल सेवन से ही निश्चित रूप से वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है)। देवी मातंगी का रंग गहरा नीला है। मस्तक पर अर्ध चंद्र है और त्रिनेत्र धारी हैं। इनकी चार भुजाओं में कपाल (जिसके ऊपर तोता है, जो वाणी और वाचन का प्रतीक है), वीणा, खड्ग और वेद हैं। 'ब्रह्मयामल' के अनुसार हनुमान और माता शबरी के गुरु ऋषि मतंग ने वर्षों तक अनेक कष्ट सहते हुए कदंब वन में कठोर तपस्...
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