गिरडीह, अगस्त 13 -- जमुआ। आवश्यकता आविष्कार की जननी है। मतलब जब लोगों को जरूरत होती है। उस हिसाब से लोग जागरूक होकर उस पर अमल करते हैं। कुछ ऐसा ही वाकया जमुआ प्रखंड और बेंगाबाद प्रखंड के सीमा पर बसे नारोबाद गांव का सामने आया है। यहां पासवान समाज ने जंगल सुरक्षा समिति का गठन किया है और पिछले 40 साल से बिना सरकारी सहायता और सलाह के जंगल की सुरक्षा में लगे हैं। जंगल अब घना और चार गुना बढ़ गया है। ग्रामीण बताते हैं कि 70-80 के दशक में ये लोग एक दातुन के लिए तरसते थे। इस क्षेत्र में अधिकांश जंगल खत्म हो चुका था। ग्रामीणों ने तब जंगल के महत्व को समझा और जंगलों की सुरक्षा के लिए वन समितियां बनाकर काम करना शुरू किया। इस गांव के महिला पुरुष दोनों मिलकर वनों के प्रबंधन को अपने हाथ में लिया। नारोबाद गांव में करीब 300 सौ एकड़ जमीन में जंगल है। वहीं क...